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Skin Disease is a Gift

Skin Disease is a Gift

त्वचारोग यदि हुआ है तो इसे आपको मिला एक उपहार समझे। 
जी हाँ, सही पढ़ा आपने। 
पढ़कर धक्का लगा होगा पर समझेंगे तो सही लगेगा। 

तब फिर जो त्वक् रोग से पीड़ित है एवं जो त्वक् रोग से दूर रहना चाहते हैं, वे २ मिनट का समय निकालकर अवश्य पढ़े। 

एकबार एक रोगी (अजय ) क्लीनिक में आया । उसकी नाक पर बहुत खुजली होती थी। कभी बहुत  ज्यादा खुजली होती। बात बहुत छोटी सी थी पर बहुत बेचैन कर देती। चार लोगों के बीच जाने पर तो बहुत शर्मिंदगी महसूस होती।केस ली, नाडी की जाँच की तब 'अनिद्रा जन्य शुक्र क्षय जन्य वातप्रकोप' फिर उससे बढ़ने वाली रुक्षता , एवं उससे उत्पन्न कंडू। उससे जब यह पूछा कि किसी दिन नींद न होने पर खुजली बढ़ जाती तो उसने हाँ कहते सर हिलाया।  पेट साफ न होने पर भी खुजली बढ़ जाती,उसने कहा। रात को शीघ्र पतन या हस्तमैथुन होने पर भी यह समस्या बढ़ जाती। अब क्या, क्या केस बहुत सरल हो गई, रोगी के रोग के सभी पायदान स्पष्ट दिख रहे थे। उसे भी उसका रोग, हेतु समझाने पर उसे सब समझ आ गया।कुछ पथ्य, कुछ दवाईयां बताई, आहार में घी का सेवन अधिक करने के लिए कहा, नाक पर लगाने हेतु एक तेल दिया। उसका यह छोटा-सा परंतु तकलीफ देनेवाला रोग ठीक हो गया। 

अनेक लोगों को, शरीर पर भिन्न भिन्न जगह पर त्वचा पर खुजली आती है, जांघों के बीच, बगलों  में, पीठ पर, हाथ-पैर के तलवों पर, चेहरे पर, कानों पर, नाक पर, योनि भाग तो किसी को गुदाला भाग में। मूलतः यह एक-एक लक्षण, शरीर अपनी ओर हमारा ध्यान आकर्षित करने हेतु उत्पन्न करता है। जैसे एक छोटा बच्चा अपनी ओर ध्यान खींचने के लिए रोता है बस वैसे ही। अतः त्वचा में उत्पन्न इन लक्षणों के पीछे कोई कारण हो सकता है जिसे ढूँढिए। 

ध्यान दें-
त्वचा यह शरीर का सबसे बड़ा अवयव है। वह हमसे सबसे अधिक संवाद करता है। हम में थोड़ा भी बदलाव हो तो लोग कोई तकलीफ है क्या ऐसा पूछते है, तबीयत ठीक नहीं है क्या, ऐसे प्रश्न पूछते है। अधिक मानसिक तनाव लेनेवाले लोगों में त्वचा रोग प्रायः अधिक होतें हैं। हमारी त्वचा हमारे शरीर का दर्पण है। सुंदर व व्याधीमुक्त त्वचा अर्थात निजी शरीर। केवल एक निरोगी शरीर ही निरोगी त्वचा से ढँकी होती है। यदि शरीर रोगी होगा तो त्वचा पर उसके कुछ न कुछ लक्षण अवश्य दिखाई देंगे, जैसे वह हमें कह रही हो कि मेरी तरफ ध्यान दो, मुझे ठीक करो। इसलिए निरोगी शरीर पाने के लिए, उत्पन्न त्वचा रोगों को उपहार समझकर उसे ठीक करने हेतु प्रयत्न करने चाहिए क्योंकि इन्हीं छोटे-छोटे लक्षणों से शरीर के बड़े-बड़े रोगो का पता चल सकता है। जैसे बुखार आने पर भी सबसे पहले त्वचा ही हमें बताती है, अंग गरम होता है और शरीर आराम माँगता है, बस वैसे ही। 
 
वैद्य पाटणकर हरिश,
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